जागो

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आज।

मुझे क्या चाहिए?

मुझे कहाँ जाना है?

मुझे क्या चाहिए?

मैं क्या हूँ?

मुझे क्या चाहिए?

जब मैंने विम होफ (Wim Hof) और परमहंस योगानंद जी द्वारा दी

गई एक्सरसाइज़ को परफॉर्म किया,

जब वो एक्टिविटी मैंने की,

जब मैंने वो ब्रीदिंग एक्सरसाइज़ की,

तब मुझे जो महसूस हुआ…

तब वो जो सेल्फलेसनेस,

वो जो निःस्वार्थता -

खुद का पता ही नहीं हो

आप एक किसी बहुत ही बड़ी चीज़ का हिस्सा हो।

आप अकेले नहीं हो,

आप किसी बहुत बड़ी चीज़ का एक हिस्सा हो

और वो चीज़ जैसे आकाश से आती हो।

नीचे आप उसका हिस्सा हो।

जब मैंने विम होफ मेथड के द्वारा जो ब्रीदिंग एक्सरसाइज़ की,

उससे जो मुझे निःस्वार्थता की अनुभूति मिली।

उससे क्या हुआ?

स्वार्थ से मुक्ति मिली,

बेफ़िक्री मिली।

उससे मुझे एक ऐसी शांति मिली कि मैं इस शरीर से परे हूँ,

और जो मैं हूँ उससे भी कुछ विशेष हूँ।

यह अनुभूति बहुत गहरी है।

जब आपको महसूस होने लगे कि आप किसी परमात्मा का अंश हैं,

किसी ऐसी शक्ति का, किसी ऐसी ऊर्जा का हिस्सा हैं

जो सबको संचालित कर रही है,

तब एक अलग ही दृष्टिकोण विकसित हो जाता है।

आज का मनुष्य तकनीकी और बौद्धिक विकास में बहुत आगे बढ़ चुका है।

उसने पूरी पृथ्वी को नियंत्रित कर लिया है।

मनुष्य अंतरिक्ष में भी पहुँच गया है,

चंद्रमा पर भी।

लेकिन मुझे लगता है कि जब कोई आत्मा इस धरती पर आती है,

और वह स्वयं को जानने का प्रयास करती है,

जागरूकता से चलती है,

श्वासों को सचेत होकर लेती है,

तो वह असीम ऊँचाइयों को छू सकती है।

इसलिए स्वयं को जानना बहुत आवश्यक है -

आप क्या हैं,

क्यों हैं,

यहाँ क्यों आए हैं,

क्या करना है।

यह समझना अत्यंत आवश्यक है।

मुझे महसूस हुआ कि मैं एक अविनाशी शक्ति का हिस्सा हूँ।

जैसे मैं, वैसे ही आप, वैसे ही सुनने वाले,

वैसे ही इस पूरी दुनिया में रहने वाले लोग,

सभी उस शक्ति के अंश हैं।

कुछ लोग इस दुनिया को चला रहे हैं,

कुछ लोग इस दुनिया में चल रहे हैं।

जिनमें चलाने का साहस है, ज्ञान है, वे चला सकते हैं।

जिनमें अभी यह क्षमता नहीं है, वे नहीं चला सकते।

गूगल, फेसबुक, एपल, माइक्रोसॉफ्ट, बड़े-बड़े बैंक,

बड़े-बड़े ट्रस्ट ऐसे ही नहीं बन गए।

मार्क जुकरबर्ग, स्टीव जॉब्स जैसे महान आविष्कारक ऐसे ही नहीं आ गए।

जो आत्मा स्वयं को जानेगी,

अपने आसपास को समझेगी,

वही इन ऊँचाइयों तक पहुँच सकती है।

यह मेरा विश्वास है।

दूसरी ओर, उसामा बिन लादेन

और अन्य तानाशाहों ने,

जिन्होंने दुनिया को बहुत दुःख दिया है,

उन्होंने इसी ऊर्जा का,

इसी अविनाशी शक्ति का दुरुपयोग किया है।

उन्होंने इस शक्ति से लोगों को प्रभावित किया,

कुछ लोगों ने उन्हें फॉलो किया,

कुछ ने उनका विरोध किया।

इस जगत में क्या है, क्या नहीं?

क्या पुरुष? क्या महिला? क्या अन्य लिंग?

सब मनुष्य ही तो हैं।

क्या धर्म है?

क्या बड़ा, क्या छोटा?

क्या मोटा, क्या पतला?

क्या लंबा?

क्या काला, क्या गोरा?

यह सब क्या है?

जब कोई मनुष्य स्वयं को गहराई से जान लेता है

और स्वयं को उस परमात्मा,

उस परम शक्ति से जोड़ लेता है,

तब वह समझ लेता है कि अन्य मनुष्य,

जो अभी जागृत नहीं हुए हैं -

उनकी आँखें खुली तो हैं पर वे देख नहीं पाते,

वे सोचते तो हैं पर समझ नहीं पाते,

वे बिना सोचे-समझे किसी के बताए मार्ग पर चलते जा रहे हैं।

जिस व्यक्ति ने स्वयं को गहराई से समझ लिया है,

उसने दूसरों को एक पथ दिया।

उस पथ में उसने बताया कि:

  • हमारे धर्म का नाम यह होगा
  • हमारे धर्म का प्रतीक यह होगा
  • हमारे धर्म का गीत यह होगा
  • हमारे धर्म का रंग यह होगा
  • हमारे धर्म की सुगंध यह होगी
  • हमारे धर्म के वस्त्र ऐसे होंगे

या हमारे राष्ट्र का,

या हमारी कंपनी का,

या किसी भी संस्था का -

जो व्यक्ति जागृत है,

उसने दिशा दी,

नियम बनाए,

और जो जागृत नहीं हैं,

उन्होंने उन नियमों का पालन किया।

और जिन्होंने ऐसे नियम बना दिए

जिनसे लोगों को कष्ट हुआ,

उन्होंने उस शक्ति का दुरुपयोग किया।

हिटलर ने लाखों लोगों की जान ली।

ये जो विश्व युद्ध हो रहे हैं, ये क्यों हो रहे हैं?

क्यों मारना है? क्यों मरना है?

जीओ, प्रेम करो, अच्छे से रहो।

यह जीवन कुछ क्षणों का है।

तो यही मैं कहना चाहता था कि जब आप स्वयं के निकट आएँगे,

इतने निकट कि आप शून्य हो जाएँगे

(जो कि मैं अभी नहीं हुआ हूँ, बस महसूस कर रहा हूँ),

तब आपको ज्ञात होगा कि शून्य में ही परमात्मा है।

शून्य में वह शक्ति है जो आपको चलाती है,

आपको खुशियाँ देती है, आपको प्रेम देती है।

यह शक्ति आपको बताती है

कि आप हर उस मनुष्य की आँखें खोलें,

हर उस मनुष्य को जगाएँ जो जागृत नहीं है,

जिसे पता नहीं है कि वह इस धरती पर क्यों आया है।

जो यहाँ अपने माता-पिता द्वारा लाया गया है

और उसे पता नहीं है कि वह क्यों आया है।

क्योंकि इतना तो मैं निश्चित कह सकता हूँ

कि कोई भी मनुष्य यहाँ सिर्फ

कुछ न कुछ करने तो आया है।

आपको चला कौन रहा है?

कौन बना रहा है?

कौन चला रहा है?

आप स्वयं के पास तो आओ,

तब पता चल जाएगा।

पहली सीढ़ी: स्वयं के पास आना है।

कैसे आना है?

  • योग करें
  • ध्यान करें
  • स्वयं के साथ रहें
  • एकांत में रहें
  • अंधकार में रहें

ताकि आप सिर्फ और सिर्फ:

  • अपने विचारों के साथ
  • अपने सोच के साथ
  • अपनी कल्पनाओं के साथ
  • अपने सपनों के साथ
  • अपने शरीर के साथ रह सकें

प्रयास करें कि आपके आस-पास कोई न हो,

क्योंकि आपको स्वयं के पास आना है।

स्वयं के पास आने के बाद,

जब आप इतने निकट आ जाएँगे,

तो दूसरी सीढ़ी अपने आप दिखने लगेगी।

जितना आप शून्य की ओर जाएँगे,

जितना आप उस अविनाशी शक्ति की ओर जाएँगे,

उतना ही आप शक्तिशाली बनेंगे,

उतना ही आप परमात्मा को स्वयं में और दूसरे मनुष्यों

में महसूस करने लगेंगे।

तीसरी सीढ़ी: जब आपको वह परमात्मा की शक्ति मिले,

जब वह अविनाशी शक्ति मिले,

तो उसका सदुपयोग करना है।

उसे भलाई में लगाना है,

उससे विनाश नहीं करना है।

इस दुनिया को जोड़ना है,

तोड़ना नहीं है।

चौथी सीढ़ी होगी जोड़ने वाली।

उससे पहले आपको स्वयं को जोड़ना होगा।

स्वयं के साथ रहिए,

जुड़िए।

मैं भी स्वयं को जोड़ रहा हूँ,

इसलिए जो मेरे मन में आ रहा है, व

ही मैं बोल रहा हूँ।

जब आप जोड़ने वाले बन जाएँगे,

तो स्वतः ही पाँचवीं सीढ़ी पर पहुँच जाएँगे,

जो है ब्रह्म सीढ़ी।

यह नाम मैंने अभी ही दे दिया।

ब्रह्म का अर्थ है सृष्टिकर्ता।

मैंने कुछ नहीं पढ़ा है, मैं कुछ नहीं जानता,

मैं बस महसूस कर रहा हूँ।

ब्रह्मा मतलब द क्रिएटर, रचयिता, जो बनाता है।

जब आप पाँचवीं सीढ़ी पर ब्रह्म बन जाएँगे

(जैसा आपने ‘सेक्रेड गेम्स’ में

नवाजुद्दीन सिद्दीकी की शानदार परफॉर्मेंस में सुना होगा

  • “मैं ब्रह्म हूँ”), तब आपके पास बहुत शक्ति होगी।

जब आप ब्रह्म होंगे तो आप विनाश भी कर सकते हैं

और निर्माण भी कर सकते हैं।

चीज़ें जोड़ सकते हैं,

क्योंकि हर वो व्यक्ति जो जोड़ने वाला,

जो बनाने वाला होता है,

वो बड़ा व्यक्ति होता है।

छोटा व्यक्ति हमेशा तोड़ेगा।

फालतू व्यक्ति हमेशा छोटी बातें,

छोटी-छोटी चीज़ों में नाराज़ होना,

छोटा ही रह जाएगा।

हमें बड़ा व्यक्ति बनना है।

हमें परमात्मा बनना है।

हमें ब्रह्म बनना है।

हमें उस अविनाशी शक्ति को प्राप्त करना है।

कैसे होंगे?

कुछ शुरुआत करें:

इन सीढ़ियों पर चढ़ें

इस संसार का सदुपयोग करें

इस संसार के कल्याण के लिए इस्तेमाल करें

क्या इस्तेमाल करें?

जो शक्ति आपको मिली है।

शक्ति कैसे मिलेगी?

स्वयं के पास आने से

स्वयं के पास कैसे आओगे?

एकाकीपन से

अंधकार से

इनके ज़रिए तुम आओ

पास आओ

करो चीज़ें

बनाओ

इस संसार को बेहतर बनाओ